तीर्थ श्राद्ध पूजा हिन्दू धर्म में पितृगणों की आत्माओं की शांति और मुक्ति के लिए की जाने वाली एक प्रकार की श्राद्ध पूजा है, जो तीर्थक्षेत्रों में की जाती है। तीर्थ श्राद्ध पूजा का आयोजन पावन नदियों, जलस्रोतों, गंगा, यमुना, सरस्वती आदि जैसे पवित्र जल स्थलों के किनारे किया जाता है। यह पूजा उन पितृगणों की आत्माओं के लिए होती है, जिन्होंने तीर्थ स्नान किया होता है।
तीर्थ श्राद्ध पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन किया जा सकता है:
- तीर्थ स्नान: आपके आवश्यकतानुसार एक पवित्र नदी, जलस्रोत, या तीर्थस्थल में स्नान करें। यह आपके श्राद्ध के पितृगणों की आत्माओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पूजा स्थल की तैयारी: तीर्थ स्नान के बाद एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
- पितृ मूर्तियों और फोटों की स्थापना: पितृगणों की मूर्तियाँ या फोटों को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- श्राद्ध के पदार्थ: श्राद्ध के लिए विभिन्न पदार्थ तैयार करें जैसे कि अन्न, दूध, घी, मिष्ठान, फल, खाद्य पदार्थ, आदि।
- पितृ पूजा और अर्चना: पितृगणों की पूजा और अर्चना करें, उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, आदि से पूजें।
- मंत्र पाठ और प्रार्थना: पितृगणों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद की प्रार्थना करें, मंत्र पाठ करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
- भजन और कीर्तन: पितृगणों की यादों को ताजगी देने के लिए भजन या कीर्तन का प्रसंग करें।
- आरती: पितृगणों की आरती करें और उन्हें आशीर्वाद दें।