सत चंडी पाठ" एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें चण्डीपाठ (दुर्गा सप्तशती के अध्यायों का पाठ) को सात दिनों तक अद्यतन करके किया जाता है। यह अनुष्ठान मां दुर्गा की महिमा, शक्ति और संरक्षण की प्राप्ति के लिए किया जाता है। सत चंडी पाठ में सात बार दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ किया जाता है, जिससे किसी विशेष मांग या प्रार्थना की आवश्यकता होती है।
सत चंडी पाठ की पूजा और यज्ञ का आयोजन करते समय निम्नलिखित तरीके का पालन कर सकते हैं:
- पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा और यज्ञ के लिए तैयार करें।
- चंडीपाठ पूजा: सत चंडी पाठ के पाठ की पूरी प्रक्रिया के लिए प्रस्तुत रहें। चण्डीपाठ को सात दिनों तक पूरा करें। प्रतिदिन के पाठ के बाद, मां दुर्गा की मूर्ति को पूजें, आरती करें और अगरबत्ती आदि जलाएं।
- हवन (यज्ञ): सत चंडी पाठ के समापन में एक विशेष हवन (यज्ञ) का आयोजन करें। इसमें मन्त्र पाठ, यजमान की प्रार्थना और हवन सामग्री का हवन करने की प्रक्रिया शामिल होती है।
- प्रसाद भोग: पूजा और यज्ञ के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में भोग चढ़ाएं और उसे फिर आप और आपके परिवार के सदस्यों के बीच बांटें।
- भक्ति और समर्पण: पूजा और यज्ञ के समय भगवान मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहें और उनके प्रति अपनी समर्पणा और प्रेम को प्रकट करें।
- व्रत का समापन: सात दिनों के चंडीपाठ और पूजा के बाद व्रत का समापन करें और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।