नवग्रह हवन

नवग्रह हवन

नवग्रह हवन एक पूजा प्रथा है जिसमें नौ ग्रहों की शांति और शुभता के लिए हवन किया जाता है। हिन्दू ज्योतिष में मान्यता है कि नौ ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु) हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनके स्थिति और दशा हमारे भाग्य, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, व्यापार आदि पर प्रभाव डालते हैं।

नवग्रह हवन के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:

  1. पूजा स्थापना: नवग्रह हवन के पूर्व, नौ ग्रहों की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाकर स्थापित किया जाता है।
  2. हवन की सामग्री: हवन करने के लिए विभिन्न सामग्री तैयार की जाती है, जैसे कि घी, साबुत दाना, अग्नि, यज्ञशाला, यजमान, अचामनीय, समिधा, संग्रहणी, आदि।
  3. हवन क्रिया: पूजा अर्चना के बाद, पंडित या यजमान नौ ग्रहों के नामों का उच्चारण करते हैं और हवन करते हैं, जिसमें अग्नि में सामग्री को डालते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं।
  4. पूजा और आरती: हवन के बाद, नौ ग्रहों की पूजा की जाती है और उनकी आरती दी जाती है।
  5. प्रसाद और ब्रह्मण भोजन: पूजा के बाद, प्रसाद वितरित किया जाता है और ब्रह्मणों को भोजन की व्यवस्था की जाती है।

नवग्रह हवन का उद्देश्य नौ ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करना और उनके सामर्थ्य और शुभता को बढ़ावा देना होता है। यह पूजा प्रथा ज्योतिष में महत्वपूर्ण मानी जाती है और लोग नौ ग्रहों के शुभता और प्रभाव को प्राप्त करने के लिए नवग्रह हवन करते हैं।