कार्तवीर्य अर्जुन (Kartavirya Arjuna) एक प्राचीन और प्रसिद्ध राजा थे, जिन्हें महाभारत काल में बड़े बलशाली और पुरुषार्थी योद्धा के रूप में जाना जाता है। उनका उल्लेख महाभारत और पुराणों में किया गया है।
कार्तवीर्य अर्जुना का नाम महाभारत के आदिपर्व (Adi Parva) में आता है, जहां उनके वीरता और बल की कहानियां बताई गई हैं। उनके जन्म के संबंध में एक किस्सा है कि उनकी माता रानी प्रियव्रत्ति (Priyavrata) राजा परसुराम की दीक्षा के दौरान किये गए यज्ञ में साक्षात भगवान धन्वंतरि के रूप में प्रकट हो गए थे और उन्हें वरदान मांगने का मौका मिला था। वरदान मांगते समय कार्तवीर्य अर्जुना ने शत्रुरूपी एक हजार आघातों का संकल्प बनाया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें हजारों हाथियों के एक खाना मिल गया।
कार्तवीर्य अर्जुना के जीवन के बारे में यह जानकारी उपलब्ध है कि वे महान बलशाली और दानशील राजा थे। उन्होंने तपस्या और योग्यता की दिशा में अपने आत्मविकास को साबित किया और उनके वीरता का उल्लेख ब्राह्मण और पुराणों में किया गया है।
कार्तवीर्य अर्जुना का वध भगवान परशुराम द्वारा किया गया था, जिन्होंने उनके अहंकार और अकर्मण्यता का दण्ड दिया था। इसके परिणामस्वरूप उनका वध हो गया और उनकी शक्तियाँ नष्ट हो गईं।
कार्तवीर्य अर्जुना की कथाएं और उनके वीरगाथाएँ हिन्दू धर्म के पुराणों और इतिहास में महत्वपूर्ण हैं, और उनकी कहानियां योग्यता, साहस और गुणों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत होती हैं।