रुद्राष्टाध्यायी

रुद्राष्टाध्यायी
रुद्राष्टाध्यायी क्या है? रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद के "रुद्र" अध्याय का एक संकलन है जिसमें आठ अध्याय (अष्ट-अध्यायी) होते हैं। इसमें भगवान शिव के रौद्र रूप की स्तुति की जाती है। इसे शिवाभिषेक के समय विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

रुद्राष्टाध्यायी

(अभिषेक विधि एवं पूजा विधान सहित)

📖 रुद्राष्टाध्यायी क्या है?

रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद के "रुद्र" अध्याय का एक संकलन है जिसमें आठ अध्याय (अष्ट-अध्यायी) होते हैं। इसमें भगवान शिव के रौद्र रूप की स्तुति की जाती है। इसे शिवाभिषेक के समय विशेष रूप से पढ़ा जाता है।


🕉️ अभिषेक विधि (Abhishek Vidhi):

आवश्यक सामग्री:

  • जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत)

  • गंगाजल, बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन, धूप, दीप

  • रुद्राक्ष माला

  • पीत वस्त्र, आसन

  • ताम्र या पारद शिवलिंग (यदि संभव हो)

विधि:

  1. स्नान एवं शुद्धि: स्वयं स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें। पवित्र स्थान पर शिवलिंग को स्थापित करें।

  2. दीप प्रज्वलन एवं आचमन: दीप जलाकर आचमन करें और संकल्प लें।

  3. शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें।

    • प्रत्येक अध्याय के साथ अलग-अलग द्रव्यों से अभिषेक कर सकते हैं, जैसे:

      • प्रथम अध्याय – जल

      • द्वितीय – दूध

      • तृतीय – दही

      • चतुर्थ – घी

      • पंचम – शहद

      • षष्ठ – शक्कर जल

      • सप्तम – गंगाजल

      • अष्टम – पुनः शुद्ध जल

  4. रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें।
    हर अध्याय के साथ शिवलिंग पर अभिषेक करते जाएँ।

  5. बिल्वपत्र, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें।

  6. प्रार्थना एवं क्षमा याचना करें।

  7. शिव मंत्रों का जप करें:

    • महामृत्युंजय मंत्र

    • ऊँ नमः शिवाय


🙏 पूजा विधान (Puja Vidhan):

  1. शिवजी का ध्यान करें।
    "ध्यानं मूलं गुरुर्मूर्तिः..."

  2. संकल्प लें।
    "मम सर्वपापक्षयपूर्वक श्रीशिवप्रीत्यर्थं रुद्राभिषेकं करिष्ये।"

  3. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें।

    • आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, चन्दन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि।

  4. अंत में आरती करें।
    "ॐ जय शिव ओंकारा..." गाएं।

  5. प्रसाद वितरण और व्रत का समापन करें।